श्री कृष्ण: जनमानस के प्रेरक और भारत की सभ्यता- संस्कृति के आधार – Shree Krishna – Jagadguru
निशीथे तम उद्भूते जायमाने जनार्दने ।
देवक्यां देवरूपिण्यां विष्णुः सर्वगुहाशयः
आविरासीद् यथा प्राच्यां दिशि इन्दुरिव पुष्कलः।(8)।
अर्थात जन्म-मृत्यु के चक्र से छुड़ाने वाले जनार्दन के अवतार का समय था निशीथ।चारों ओर अंधकार का साम्राज्य था ।उसी समय सबके हृदय में विराजमान भगवान विष्णु, देवरूपिणी देवकी के गर्भ से प्रकट हुए, जैसे पूर्व दिशा में सोलहों कलाओं से पूर्ण चंद्रमा का उदय हो गया हो।