Children Story on Ganesha – माताश्री, मोदक और गन्नु – Ruchita Chawda

गन्नु (उर्फ – गणेश, Ganesha) – “अरे! माताश्री आपको तो पता ही है पिताश्री का कार्यकाल पूर्ण होते पिताश्री मौन साधना में लीन हो जाते हैं, और मुझे पृथ्वी पर भ्रमण का कार्यभार सौंप जाते हैं। पिताश्री की आज्ञा शिरोधार्य माता श्री।“

मां पार्वती – “हां ये बात तो है , वत्स वैसे भी आजकल धरती पर सभी लोग तनावग्रस्त रहते हैं,लोग आधुनिकता की दौड़ में अपनी संस्कृति भुलते जा रहें हैं। इन दस दिनों में भाव- भक्ति बढ़ने से ‘बहन धरा’ पावन हो उठती है और लोगों के मन भी पवित्र और शुद्ध होने लगते हैं।

Dr. Vikram Sarabhai: Father of Modern Indian Space Science

डॉ. विक्रम साराभाई का जीवन और कार्य दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प और व्यापक भलाई के प्रति प्रतिबद्धता की शक्ति का उदाहरण है। अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान ने न केवल भारत को अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों की श्रेणी में खड़ा कर दिया, बल्कि देश में वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति भी जगाई।

श्री कृष्ण: जनमानस के प्रेरक और भारत की सभ्यता- संस्कृति के आधार – Shree Krishna – Jagadguru

निशीथे तम उद्‍भूते जायमाने जनार्दने ।

देवक्यां देवरूपिण्यां विष्णुः सर्वगुहाशयः

आविरासीद् यथा प्राच्यां दिशि इन्दुरिव पुष्कलः।(8)।
अर्थात जन्म-मृत्यु के चक्र से छुड़ाने वाले जनार्दन के अवतार का समय था निशीथ।चारों ओर अंधकार का साम्राज्य था ।उसी समय सबके हृदय में विराजमान भगवान विष्णु, देवरूपिणी देवकी के गर्भ से प्रकट हुए, जैसे पूर्व दिशा में सोलहों कलाओं से पूर्ण चंद्रमा का उदय हो गया हो।

मेरी नजर में श्री कृष्णा – Shri Krishna, From my perspective.

श्री कृष्ण ने भी मानव अवतार लेकर कितने कष्ट सहन किए थे! जन्म के तुरंत बाद माता-पिता बिछड़ गए, फिर पालक माता-पिता, राधा जी, गोकुल के मित्र इन सब का साथ बारी-बारी से छूट गया। यहां तक की मथुरा वासी जिन्हें कंस के प्रकोप से बचाया उन्होंने भी भगवान कृष्ण को वहां से जाने के लिए कह दिया।

कृष्ण – मेरा अस्तित्व, Krishna – My Existence

सिर पर मोर मुकुट ,पीताम्बर ओढ़े ,अधरों पर मुरली और मीठी मुस्कान; उस पर श्यामल रंग अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी… ना कोई हुआ ना कोई होगा ….. भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था…..”एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति!”

पूर्ण पुरूषोत्तम कृष्ण – Poorna Purushhotam Krishna

हां कृष्ण का अपभ्रंश या उसका हिंदी नाम जैसे क्रिष्ना या किशन ऐसे नाम बहुत से लोगों के होंगे, परंतु कृष्ण नाम मैंने अभी तक नहीं देखा। मानो कृष्ण नाम तो उनके लिए ही सर्जन किया गया हो ऐसा प्रतीत होता है। हां, रामकृष्ण नाम भी जरुर होगा परंतु कृष्ण, यह तो सिर्फ वृंदावन के गोपाल का या द्वारिका के राजाधिराज का ही हो सकता है और आज के समय में कोई मनुष्य ऐसा नहीं जिसे पूर्ण पुरूषोत्तम कहा जा सके।

दीपोत्सव – खुशीयों का खजाना! Happy Hai Diwali!

भले ही ये सभी त्योहार हम जी भर के मनाये हो लेकिन जब भी ये दिवाली आनी होती है तब इसका रोमांच, इसका उत्साह बढकर होता है, सही है ना? (IPL Fans को ज्यादा पता होगा!) नवरात्रि में माता के जगराता, भजन, रामलीला और गरबा खेल कर अभी थकान मिटाने  की सोच ही रहे होते है की सब लोग दिवाली की साफ सफाइ में लग जाते है। पुराने सामान –रद्दी खरीदने वाले गलियो में निकल पडते है; झाड़ू– वाइपर – फिनाइल वाले पूरा दिन गलियो में शोर मचा रहे होते है। दिवाली शुरू हो उससे पहले तो ओनलाइन शोपिंग साइट वाले अपना अलग से त्योहार शुरू कर देते है।

Teacher – The Architect of the Society. शिक्षक – समाज का सूत्रधार। – Mr. D.V.Mehta & Sh. Sairam Dave

शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उस की गोद में पलते है। इसी विचारधारा पे आज संवाद हुआ जिनियस ग़्रुप के फाउंडर और चैरमेन श्री डी.वी महेताजी और गुजरात के जानेमाने वक्ता, हास्यकार और सांदीपनी विचारधारा के शिक्षक श्री सांईराम दवेजी के बिच।

माँ तुझे सलाम!

माँ तुझे सलाम! नमस्ते स्नेही जन! आप सब ने जन्मदिवस की शुभकामनाएं दी उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया। हर साल मैं भगवान के प्रति आभार व्यक्त करता हूं, साथ साथ ये भी प्रार्थना करता हूं की हमारे देश के वीर सैनिको की रक्षा करे जो हमारे लिए देश के हर कोने में डटे हुए … Read more

अग्नि की ऊड़ान – श्री ए.पी.जे अब्दुल कलाम – Wings of Fire

“जब संकट या दुःख आए तो उनका कारण जानने की कोशीश करो। विपत्ती हमेशा आत्मविश्लेषण के अवसर प्रदान करती है।“

कलामजी और उनके बहनोइ जलालुदीन, जो उनसे उम्र में काफी बडे थे वो उनके अच्छे मित्र बने, जब घूमने निकलते थे तो शिवमंदीर की प्रदक्षीणा भी करते थे। धर्मनिरपेक्षता का इससे बडा उदाहरण क्या होगा?
जलालुदीनने ही कलामजी को पढने के लिए प्रोत्साहीत किया।