श्री कृष्ण: जनमानस के प्रेरक और भारत की सभ्यता- संस्कृति के आधार – Shree Krishna – Jagadguru

निशीथे तम उद्‍भूते जायमाने जनार्दने ।

देवक्यां देवरूपिण्यां विष्णुः सर्वगुहाशयः

आविरासीद् यथा प्राच्यां दिशि इन्दुरिव पुष्कलः।(8)।
अर्थात जन्म-मृत्यु के चक्र से छुड़ाने वाले जनार्दन के अवतार का समय था निशीथ।चारों ओर अंधकार का साम्राज्य था ।उसी समय सबके हृदय में विराजमान भगवान विष्णु, देवरूपिणी देवकी के गर्भ से प्रकट हुए, जैसे पूर्व दिशा में सोलहों कलाओं से पूर्ण चंद्रमा का उदय हो गया हो।

मेरी नजर में श्री कृष्णा – Shri Krishna, From my perspective.

श्री कृष्ण ने भी मानव अवतार लेकर कितने कष्ट सहन किए थे! जन्म के तुरंत बाद माता-पिता बिछड़ गए, फिर पालक माता-पिता, राधा जी, गोकुल के मित्र इन सब का साथ बारी-बारी से छूट गया। यहां तक की मथुरा वासी जिन्हें कंस के प्रकोप से बचाया उन्होंने भी भगवान कृष्ण को वहां से जाने के लिए कह दिया।

कृष्ण – मेरा अस्तित्व, Krishna – My Existence

सिर पर मोर मुकुट ,पीताम्बर ओढ़े ,अधरों पर मुरली और मीठी मुस्कान; उस पर श्यामल रंग अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी… ना कोई हुआ ना कोई होगा ….. भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था…..”एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति!”

पूर्ण पुरूषोत्तम कृष्ण – Poorna Purushhotam Krishna

हां कृष्ण का अपभ्रंश या उसका हिंदी नाम जैसे क्रिष्ना या किशन ऐसे नाम बहुत से लोगों के होंगे, परंतु कृष्ण नाम मैंने अभी तक नहीं देखा। मानो कृष्ण नाम तो उनके लिए ही सर्जन किया गया हो ऐसा प्रतीत होता है। हां, रामकृष्ण नाम भी जरुर होगा परंतु कृष्ण, यह तो सिर्फ वृंदावन के गोपाल का या द्वारिका के राजाधिराज का ही हो सकता है और आज के समय में कोई मनुष्य ऐसा नहीं जिसे पूर्ण पुरूषोत्तम कहा जा सके।