नैना अश्क ना हो! – परमवीर भारतीय सेना

मस्त कडाके की जनवरी की ठंड..और उस पर भी आप अगर दिल्हीमें हो..और सोचो की रात को फ्लाईट पकडनी हो.. ये सोच कर ही रोमांच जाग उठता है ना? पांच जनवरी के दिन हमारे सर्जन ग्रुप की गुजराती माइक्रोफिक्शन रचनाओं की दुसरी पुस्तिका ‘माइक्रोसर्जन-२’ का विमोचन होने जा रहा था। मैं दिल्ही से अहमदाबाद जाने … Read more

विश्व हिन्दी दिवस

आज विश्व हिन्दी दिवस.. आप सब को ढेर सारी शुभकामनाएं। विश्वभर में हिंदी भाषा के प्रचार के लिए 10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन रखा गया था। इस सम्मेलन में 30 देशों 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। 2006 के बाद से हर 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता … Read more

आज की नझ्म !

ये शहर मुझे पागल समझता है — युवा कवि पल्लव श्रीवास्तव जब जब उंगलियो को हवा मे घुमा कर तुझे यूं महसूस करता हूँ  तब तब ये शहर मुझे पागल समझता है ।। जब जब ये बारिश की बुन्दे छलक्ती है मैखाने मे तब साकी से मांगता हूँ  पिला दे कोई  जाम ऐसा की उतार … Read more

आज की माइक्रोफिक्शन

कबाब में हड्डीशांत पानी में टकटकी लगाये वो देख रहा था। वो भी पानी से उसको ललचा रही थी। आंखो आंखो में प्यार हो गया। वो हल्के से मुस्कुराया तभी अचानक…”छपाक”… मेंढक उछल के पानी में गीरा और वो चली गई। उसे इतना गुस्सा आया की मेंढक को मार ही डाले मगर जब नज़र बाजुओ … Read more

ये आज भी ज़िन्दा ही हैं….. जीवन – भूले बिसरे लोग! – सलिल दलाल

સલિલ કી મેહફિલ: ये आज भी ज़िन्दा ही हैं….. जीवन उपर दि गइ लिंक पर क्लीक किजिए! ख्यातनाम फिल्म समिक्षक सलिलजी के ब्लोग का एक उत्तम लेख, कलाकार श्री जीवन के जीवन को दर्शाता हुआ।

आज की माइक्रोफिक्शन

हवा“किधर?”“बच्चों के लिए हवा बचाने जा रहा हुं।”हाथ में नीम के पौधे ले के वो जा रहा था। सही मायनोमें वो अनपढ नहीं था! ~~गोपाल खेताणी

आज की माइक्रोफिक्शन

वोट्रीगर पर रखी उंगली पे वो अपनी गर्म सांसे छोड रहा था। अंधेरेमें भी उसकी बाझ नजर किसी को ढूंढ रही थी। पास में बैठा कालु भी उर्जा बचाने अपनी जबान बहार कम ही नीकाल रहा था। दोनों को शिकार की तलाश थी।कुछ गीरने की आवाझ आई। कालु झपका, अपनी पूंछ हिलाइ, जबान निकाली.. और … Read more

देवदास

कोलेज के दिन बडे सुहाने होते है। उन दिनो में कुछ ऐसे होर्मोन्स छलकते हैं की आप के अंदर छिपा कलाकार बाहर आ ही जाता है। मेरे कोलेज के दिनो में फिल्म आइ थी ‘देवदास’ (शाहरुख वाली)। फिल्म को देख के सब बिन पिये ही “घायल ह्रिदयी” हो गये थे। सो उन दिनो में मैंने … Read more