२६ जनवरी… एक ऐसा दिन जब मैं और मेरे दोस्त स्कूल के दिनो में ध्वजवंदन कर तुरंत घर पे आकर टीवी पर चीपक जाते थे….हां .. परेड देखने । आप सब को भी वो दिन याद आ रहे होंगे.. हैं ना?
स्कूलींग राजकोट (गुजरात) में हुइ। उस समय में सोचता था की दिल्ही वालों को कितना मजा आता होगा…परेड लाइव देखने का! बचपन से ख्वाहीश थी की काश एक बार ये परेड लाइव देखने को मिले।
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दिल्ही आए चार साल हो गए लेकिन परेड देखने के संयोग बने नहीं! इस साल मौका मिला (पास मिल गया!) और हम लोग[ढाइ लोग – हम, हमारी वो जी, और हमारी छुटकी जी.. ः)] सुबह साढे छः बजे पहुंच गये दिल्ही हाइ कोर्ट तक, क्युंकी आगे कोइ भी वाहन को जाने नहीं दिया.. #SecurityReasons।
भाई साहब (बहन जी भी!), सुबह सुबह इतने लोग साथ में चल रहे थे मानों सहीमे सब एक उत्सव मनाने जा रहे हो। बच्चे बुढ्ढे सब के चहेरे पे एक अजीब उत्साह छलक रहा था।
हर जगह तैनात पुलिस कर्मीयोंने रास्ता दिखाने एवम् पास पे जिस गेट से प्रवेश करना था उसके लिए मदद की।
उन सभी कर्मचारीयों को सलाम। क्युंकी मेरे जैसे कई लोग उनको परेशान कर रहे थे मगर ये कर्मचारीयोंने उत्साहीत हो के सब को सही माहिती प्रदान की।
नौं बजे से पहले पहले हम राजपथ पर; राष्ट्रपति भवन से इन्डिया गेट की और से देखें तो बांइ और शास्त्री भवन के पास बैठें। आगे से दसवीं पंक्ति में हमे कुर्सी मिल गई।
अहा! वहां का जोश और जूनुन देख तन मन में राष्ट्रप्रेम का जझ्बा ओवरलोड हो गया..और क्युं ना हो!
बचपन की ख्वाहीश जो आज पूरी होने जा रही थी।
परेड शरु होने वाले थी, मैंने बगल में बैठे महोदय से हाय हैलो कीया। श्री हिरालालजी अपने परिवार के साथ आए हुए थे। उनके साथ बातें कर मन प्रसन्न हो गया। उन्होंने काफी माहिती दी..वो पहले कई बार परेड देख चूके थे।
हम बातें कर रहे थे और तभी महामहीम राष्ट्रपतिजी का आगमन हुआ। उनकी कार हमें दिखी, सब का अभिवादन वे हाथ हिलाकर कर रहे थे.. मन को कहीं बहुत अच्छा लग रहा था। थोडी देर में हैलिकोप्टर से फूल-पंखडीयों की वर्षा हम सब पर हुई। मेरी बेटी फूली न समाई।
और फीर मार्च पास्ट, मिसाइल, टेन्क और सेना के अत्याधुनीक हथीयार एवम् उपकरण (वज्र टेन्क देखकर बहुत उत्साहीत हुआ… मेरे L&T वाले दोस्त इस प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे हैं।), राज्यों की अनुपम झांखीया, बिएसएफ के जवानों के मोटरसाइकल पर हैरतअंगेज करतब और अंत में वायुसेना का शानदार शो।
वाह, ये क्षण जिंदगी भर के लिए मन-मस्तिष्क में अंकित हो गए।
आते और जाते समय, हमारा Josh High था।
बस, यही कहना चाहुंगा की अगर आप दिल्ही के निवासी है, या आसपास रह रहे हैं तो २६ जनवरी की परेड देखने जरूर जाइये। सच मानीये, परेड देख आप का दिल भी बोल उठेगा
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा;
यूनान ओ मिस्र ओ रूमा सब मिट गए जहाँ से,
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा;
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.. सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा ।
जय हिन्द…जय हिन्द की सेना।
~ गोपाल खेताणी