मस्त कडाके की जनवरी की ठंड..और उस पर भी आप अगर दिल्हीमें हो..और सोचो की रात को फ्लाईट पकडनी हो.. ये सोच कर ही रोमांच जाग उठता है ना?
पांच जनवरी के दिन हमारे सर्जन ग्रुप की गुजराती माइक्रोफिक्शन रचनाओं की दुसरी पुस्तिका ‘माइक्रोसर्जन-२’ का विमोचन होने जा रहा था। मैं दिल्ही से अहमदाबाद जाने के लिए एरपोर्ट के टर्मिनल १ पर शाम को सात बजे पहुंचा। थोडा नास्ता किया और बोर्डींग गेट के पास आया। बोर्डींग को थोडी देर थी इस लिए घर पर फोन लगाया। मेरी गुजराती सुन एक यंग और डेशिंग बंदा पास आया और हमारी बाते शरु हुइ। अश्विनजी सिक्कीम से आ रहे थे और अपने गांव जाने के लिए अहमदाबाद जा रहे थे। वे भारतीय सेना में कार्यरत है। वे जम्मु कश्मिर के लिए भी सेवा दे चुके हैं। सब से पहले मैंने उनके साथ सेल्फी ली क्युंकी बहुत सारे लोग ताने मारते है की गुजराती बंदे सेनामें देखने नहीं मिलते. और ये बात मैंने अश्विनजी को बोली तो वो हंस दिये और बोले..”अरे नहीं नहीं.. मेरे साथ ही तकरीबन ५० गुजराती जवान है।“
तो अब मुद्दे पर आउं तो जितनी देर उनसे बातें की उन बातों में अश्विनजी का जिंदादील व्यक्तित्व निखर कर सामने आया। एक बार भी उन्होंने ये नहीं कहा की उन्हें ये समस्याएं हैं ऐसी कठिन परिस्थितीयां है। मेरा खास दोस्त मेजर है इस लिए मुझे मालुम है की जम्मु-कश्मिर, सिक्कीम, राजस्थान बोर्डर और ऐसी कइ जगह पर जवानो को कठिन परिस्थितीयों का सामना करना होता है।
परंतु ये अश्विनजी तो मुजे एक गुजराती बाल कहानी ‘आनंदी कौए’ के किरदार जैसे नजर आये जो हर परिस्थीती में खुश रहते है। उन्होंने जो बात कही उसमें मुजे कहीं कहीं पर लगा के ये तो बडी समस्या है मगर अश्विनजी कह रहे थे की “हम ऐसे रहते है, साथ में मोज मस्ती करते है, एक महीने की लंबी छुट्टी मिलती है और क्या चाहिये? सिनियर्स आपको मदद करते है। हां, आपको शिस्त में रहना पडता है, सिनियर्स को इज्जत देनी होती है पर वो हमारी सहायता के लिए ही है ना? खाने की कोई शिकायत नहीं है। कमान्डर हररोज खाने की गुणवत्ता देखते है।“ और ऐसी कई बाते हुइ पर उन सब बातों का सुर एक ही है। और वो है…
“नैना अश्क ना हो”… कभी भी..कहीं भी..”नैना अश्क ना हो!”
और अहमदाबाद से वापस आते हुए भी एक जवान मिले। बहुत ही कम समय के लिए मिले इस लिए नाम याद नहीं। वे अहमदाबाद में ड्युटी पर तैनात है और छुट्टीयों में अपने गांव जा रहे थे … नेपाल….जी हां.. नेपाल के जवान भी भारतीय सेनामें है और हमारे देश की रक्षा कर रहे है।
गणतंत्र दिन के शुभ अवसर पर भारतीय सेना को सलाम। और दोस्तों एक बिनती है..युध्ध और आतंकवाद का सामना करने के अलावा फिझुल बातों के लिए जब इन जवानों को कहीं जाना पडे ये बडी शर्म की बात है। हडताल, बंध, तोडफोड इत्यादी द्वारा हम देश की संपत्ती को ही नुकसान पहोंचा रहे है। और साथ साथ सेना के जवानो के साथ भी अन्याय कर रहे है। आओ मिल के एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करे जिससे देश की सेना को भी गर्व महसूस हो।
जय हिन्द।
– गोपाल खेताणी
Bhai u r our true ambassador….Keep up the good work proud of you
Thank u so much bro…its my pleasure.
बहुत अच्छा