आज की माइक्रोफिक्शन

कबाब में हड्डीशांत पानी में टकटकी लगाये वो देख रहा था। वो भी पानी से उसको ललचा रही थी। आंखो आंखो में प्यार हो गया। वो हल्के से मुस्कुराया तभी अचानक…”छपाक”… मेंढक उछल के पानी में गीरा और वो चली गई। उसे इतना गुस्सा आया की मेंढक को मार ही डाले मगर जब नज़र बाजुओ … Read more

आज की माइक्रोफिक्शन

हवा“किधर?”“बच्चों के लिए हवा बचाने जा रहा हुं।”हाथ में नीम के पौधे ले के वो जा रहा था। सही मायनोमें वो अनपढ नहीं था! ~~गोपाल खेताणी

आज की माइक्रोफिक्शन

वोट्रीगर पर रखी उंगली पे वो अपनी गर्म सांसे छोड रहा था। अंधेरेमें भी उसकी बाझ नजर किसी को ढूंढ रही थी। पास में बैठा कालु भी उर्जा बचाने अपनी जबान बहार कम ही नीकाल रहा था। दोनों को शिकार की तलाश थी।कुछ गीरने की आवाझ आई। कालु झपका, अपनी पूंछ हिलाइ, जबान निकाली.. और … Read more