sahityadhara

मेरी नजर में श्री कृष्णा – Shri Krishna, From my perspective.

shri krishna

पूरी दुनिया में शायद एक ही देश भारत है जिसमें अलग-अलग धर्म के लोग एक साथ एकता बनाए हुए रहते हैं| यहां पता नहीं कई देवी देवता को भाव से पूजा जाता है! यही नहीं प्रकृति और पशु पक्षियों को भी पवित्र माना जाता है| आज भी एक ऐसी पेटी मौजूद है जो सुबह जल्दी उठकर सूर्य देवता को चढ़ाते हैं| पक्षियों को दाना डालते हैं, चींटी को आटा डालते हैं, हमारे देश में प्रकृति पशु पक्षी सबको किसी न किसी देवता के साथ जोड़ा गया है।

वैसे तो भगवान के कई रूप हैं कोई राम, कोई कृष्णा, तो कोई शिवा के नाम से पूजते हैं। सनातन धर्म में हम त्रिदेव यानी ब्रह्मा विष्णु और महेश को सर्वोच्च मानते हैं। बरसों से हमें सिखाया गया है जब पृथ्वी पर पाप बढ़ जाते हैं तो भगवान मनुष्य अवतार धारण करते हैं और पाप का नाश करते हैं। भगवान विष्णु ने भी कई अवतार लिए हैं जैसे श्री राम, श्री कृष्णा, नरसिंह आदि पर इन सब में भगवान कृष्ण की लीला सबसे प्यारी लगती है। किसी छोटे बच्चों से लेकर बडो तक भी पूछा जाए तो सब की पसंद भगवान कृष्ण ही होगी! भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को जो उपदेश दिया वह भागवत गीता के नाम से जाना जाता है जो हमें प्रेरित करती है।

हमारे जीवन में जब भी दुख आता है तो हम दुखी निराश होकर दिल से टूट जाते हैं; पर हमने कभी सोचा है कि यह सिर्फ हमारे साथ नहीं भगवान के मनुष्य अवतार के साथ भी हुआ है। हमसे ज्यादा कष्ट भगवान ने सहे है। श्री कृष्ण ने भी मानव अवतार लेकर कितने कष्ट सहन किए थे! जन्म के तुरंत बाद माता-पिता बिछड़ गए, फिर पालक माता-पिता, राधा जी, गोकुल के मित्र इन सब का साथ बारी-बारी से छूट गया। यहां तक की मथुरा वासी जिन्हें कंस के प्रकोप से बचाया उन्होंने भी भगवान कृष्ण को वहां से जाने के लिए कह दिया। इतना सब कुछ सहने के बाद भी भगवान कृष्ण ने जो भी अपने कर्म थे उनको बखूबी पूरा किया।

भगवान श्री कृष्णा न सिर्फ बड़ों को लेकिन छोटे बच्चों को भी बहुत पसंद आते हैं। बच्चे जब भी स्कूल में या किसी प्रोग्राम में वेशभूषा होती है तो ज्यादातर भगवान श्री कृष्ण का वेश धारण करते हैं। “लिटिल कृष्णा” कार्टून देखकर वह भी कई बार अपने आप को कृष्ण मानने लगते हैं। उनकी तरह डांस करना, बांसुरी बजाना जैसे कई तरह की मासूम हरकतें करते हैं। शायद ही कोई ऐसी मां होगी जिसने अपने नन्हें बेटे या बेटी को कृष्ण नहीं बनाया होगा। हर मां अपने बच्चों को कृष्ण के रूप में देखकर मनोमन हर्षित होती है और यही चाहती है की बड़े होकर वो कृष्णा जैसे ही बने।

वैसे तो भगवान का हर रूप निराला है पर मुझे उनका विराट स्वरूप बहुत पसंद है। कैसी बखूबी से उन्होंने पार्थ को गीता ज्ञान दिया था। भगवान होते हुए भी वह अर्जुन के सारथी बने थे। गीता की बहुत सारी पंक्तियां मुझे हमेशा ही प्रेरित करती आई है;” जो मेरे भाग्य में नहीं है उसे दुनिया की कोई शक्ति मुझे दे नहीं सकती मुझे वह मेरे भाग्य में है वह दुनिया की कोई भी शक्ति छीन नहीं सकती।“

“ईश्वरिय शक्ति असंभव को संभव बना सकती है अतः कर्म ही कामधेनु एवं प्रार्थना ही पारसमणी है।“ उनका एक नाम रणछोड़ भी है, जो हमें सिखाते है कि कभी-कभी संबंधों के लिए झुक जाना या जिद छोड़ देना गलत नहीं है।

भगवान श्री कृष्णा “पूर्ण पुरुषोत्तम” थे। वह एक आदर्श बेटे, आदर्श भाई, मित्र, प्रेमी और पति भी थे। सच में उनका चरित्र शब्दों में लिख पाए वह बहुत मुश्किल हैं। उनकी जीवन गाथा को अगर हम 10% भी अपने जीवन में उतारे तो हम अच्छा जीवन बिता सकते हैं। अब कुछ ही दिनों में जन्माष्टमी आने वाली है, तो आओ सब हम मिलकर गाएं

नंद घेर आनंद भयो

जय कन्हैया लाल की

हाथी घोड़ा पालकी

जय कन्हैया लाल की!

परिचय:

इस भावसभर लेख के रचनाकार “हेतवी तेजस पटेल” अहमदाबाद के निवासी हैं। वह साहित्य में रुचि रखते हैं; उसके अलावा नाटक और शॉर्ट फिल्म में अभिनय करते हैं। आशा है आपको उनका यह लेख पसंद आया होग॥ कृपया अपने स्नेही जनों के साथ यह पोस्ट शेयर करें और कमेंट देना ना भूले।

जय श्री कृष्णा!

Exit mobile version