sahityadhara

D से डिसीप्लीन

“परंपरा, प्रतिष्ठा और अनुशासन – ये गुरुकुल के तिन आधार स्तंभ है” एसा हमने कुछ महानायक से महोब्बते मुवि में सुना था।

सहि मायनो में हमे अनुशासन यानी डिसीप्लीन की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। ऐसा सुना है की सरदार पटेलने आझादी के तुरंत बाद कहा था की कुछ समय तक देशमें सरमुखत्यार शाही शासन होन चाहीये क्युंकी देश की जनता अभी अनुशासीता नहीं है। और ये बात अभी सच भी लग रही है।

नियमो की न परवाह है हमें और न ही कानुन के उल्लंघन का खौफ!

तीन तरह के लोग अनुशासीत नहीं है।

१ – पैसा और पावर है

२ – निम्न स्तरीय, जो शोर्ट कट के आदी है

३ – जो अनुशासन से अंजान है

समस्या

    सब अपने देश की तूलना विकसीत देश से करते है, पर हम अपनी तुलना वहां की प्रजा से क्युं नहीं करते?

    ट्रेन और बस में सफर किया होगा तो पता चल जाता है की कुछ लोगों की जागिर बनी क्युं नहीं? क्युंकी ये देश की जागिर का भी इतना बुरा हाल करते हैं कि अपनी जागिर का तो क्या हि किया होगा ये पता चल जाता है।

    ट्राफिक के नये नियम से परेशान हो गई जनता को ये नहीं मालूम की फूटपाथ पर वाहन नहीं चलाए जाते। वाहन चलाते समय गुट्खा नहीं थुकते, मोबाइल पे बात नहीं करते, इन्डीकेटर देना आवश्यक है, दारु पी के नहीं चलाना।

    जहां जहां भंडारा, पूजा या उत्सव होता है वहाम भिड जैसे बेकाबु हो जाती है। हर कोई अपना सोच दूसरो से आगे निकलने में लग जाता है।

    कुछ लोग अच्छा अंग्रेजी जाड लेते है तो उन्हें लगता है कि हम नियम तोड सकते है।

    कुछ लोग जो गरीब है तो उन्हें लगता है की उन्हें नियम से छूट मिलनी चाहीए।

    कुछ लोग जिन्हें नियम मालुम हि नहीं उन्हे लगता है कि नियम न जानने की वजह से उन्हें तो सजा मिलनी ही नहीं चाहीए।

वाह रे देश…वाह रे मेरे भारतवासी!

उपायः

कुछ देशो की तरह हमारे यहां भी मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य होनी चाहीए। बच्चों को शिक्षा में अनुशासन – डिसिप्लिन का एक विशेष विषय होना चाहिए। तहजीब हमें घर से सिखानी होगी। पैसा और पावर का दुरुपयोग अंत मे दुःखद हि होगा ये समजना चाहीए। समाज के निचले वर्ग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अगर उन्हें अनुशासीत कीया गया तो उनका विकास अपने आप होगा।

अंत में कुछ सवाल

    क्या गलीयों और रोड पे अपनी गाडीयां पार्क करना जायझ है?

    सडक के किनारे लारी – रेडीं खडी कर देना जायझ है?

    जहां जगह देखी वहां झुग्गी – झोंपडी बसा देना जायझ है?

    कहीं पर भी थूंकना, कचरा डालना, शौच करना जायझ है?

    आप के पास मर्सीडीझ है इस लिए साईड न देना जायझ है?

    ट्राफीक जाम में राइटसाइड से ओवरटेक करते हुए और ट्राफीक बढाना जायझ है?

    एम्ब्युलन्स कहीं और से निकल जायेगी, मुझे क्या? ये सोचते हुए जगह न देना जायझ है?

याद रखीए D se Discipline की हम सबको आवश्यकता है।

– गोपाल खेताणी

Exit mobile version