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Children Story on Ganesha – माताश्री, मोदक और गन्नु – Ruchita Chawda

Ganesha

Children Story on Ganesha – माता श्री,मोदक और गन्नु – Ruchita Chawda

मां पार्वती – “क्या बात है गन्नु कुछ दिनों से notice कर रही हूं बड़े ही उत्साहित नजर आ रहे हो?”

गन्नु – “wow mom, आप भी!”

गन्नु (उर्फ – गणेश, Ganesha) – “अरे! माताश्री आपको तो पता ही है पिताश्री का कार्यकाल पूर्ण होते पिताश्री मौन साधना में लीन हो जाते हैं, और मुझे पृथ्वी पर भ्रमण का कार्यभार सौंप जाते हैं। पिताश्री की आज्ञा शिरोधार्य माता श्री।“

मां पार्वती – “हां ये बात तो है , वत्स वैसे भी आजकल धरती पर सभी लोग तनावग्रस्त रहते हैं,लोग आधुनिकता की दौड़ में अपनी संस्कृति भुलते जा रहें हैं। इन दस दिनों में भाव- भक्ति बढ़ने से ‘बहन धरा’ पावन हो उठती है और लोगों के मन भी पवित्र और शुद्ध होने लगते हैं।“

गन्नु – “you are right Mom.” 

 मां पार्वती – “देखा तुम पर भी असर हो गया न!”

“not at all माताश्री!”  गन्नु ने हंसते हुए कहा।

“माता श्री, भाषाएं तो सभी अच्छी होती है बस भाव सुंदर होना चाहिए।“

मां पार्वती – “yes you are right.” 

गन्नु – “चलिये माता श्री मुझे भी जाने की तैयारी करनी है और 10 दिनों तक आपसे दूर रहना होगा तो आप अपने हाथों से मोदक बनाकर खिलाइये मुझे।“

 मां पार्वती – “तुम नहीं बदलोगे रिद्धी- सिद्धी आ गईं पर मोदक तुम्हें मेरे हाथों से ही बना चाहिए।“

गन्नु – “yes Mom. आपके हाथों में जादू है वो स्वाद तो छप्पन भोग में भी नहीं मिलता ।“

 मां पार्वती – “समझ गई अर्थात मुझे मोदक बनाने ही पड़ेंगे ।“

गन्नु प्रसन्नता से सूंड़ हिलाते हुए  “जी माता श्री।“ 

और दोनों अपने -अपने कार्य में लग गए ।

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