(Photo Courtesy – Aster Public School, Mayur Vihar Ph 1, Delhi – on the eve of 15th August, Class – KG D – Thank you Divya Ma’m)
स्वातंत्र्य दिवस – १५ अगस्त… देश एक जझ्बे के साथ इस दिन सांस लेता है। और इस साल तो क्या कहने…रक्षाबंधन और स्वातंत्र्य दिन ..दोनो एक साथ।
रक्षाबंधन तो बच्चे बुढे सब मनायेंगे… त्योहार कि तो भारतीय जन जिवन में विशेष भूमिका रही है… पर स्वातंत्र्य दिन??
बच्चों के सिवा वो जोश और जूनुन शायद बहुत कम लोगो में नजर आता है।
शायद इस लिए भी क्युंकी हम आज ऐसे देश में रह रहे हैं जहां हर किसी को कुछ भी करने की, कुछ भी बोलने की आजादी है.. पर भारतिय संविधान के अनुसार एवम् कायदे में रहकर।
है कुछ जगह, कुछ गांव, कुछ समाज जहां ये आजादी नहीं… आज भी। पर मेरा देश बदल रहा है…लोग अब जाग्रुक हो रहे है.. तो वहां की भी तसवीर बदलेगी..वहां भी नया सवेरा होगा।
पर बात ये है की स्वातंत्र्य दिन पर देश भक्ति के मेसेज भेजकर, गाने बजाकर. देश भक्ति वाली मूवी देखकर, स्वातंत्रय दिन वाली सेल में खरिदारी कर.. एक छूट्टी हम परिवार या दोस्तो के साथे हशी खुशी मना लेते हैं.. सही है ना?
पर क्या कुछ अलग नहीं कर सकते? पराधीनता से स्वतंत्र होकर हम एक विकसीत राष्ट्र बनने की और चल पडे है तो कुछ योगदान नहीं कर सकते?
क्या कर सकते है हम?
हम
– किसी गरीब बच्चे की फिस भर सकते है।
– निचले वर्ग के लोगों को प्रोत्साहीत करें की वो अपने बच्चों को पढाये।
– व्यसन मुक्ति का प्रण ले और दूसरों को भी व्यसन मुक्त कराये।
– दारु, ड्र्ग्स और स्मोकिंग़ से स्वेग नही आता… व्यायाम, अच्छे खान पान और सच्ची सोच रखने से स्वेग बनता है बोस।
– महिलाओं का सम्मान घर के अंदर भी और घर के बाहर भी।
– कोई नहीं देख रहा हो तब भी कायदे का पालन करे वो इमानदार है।
– बच्चो के हाथ में अपनी संस्क्रुती की धरोहर सौपनी है, तो खुद भी अपनी संस्क्रुती को पहचाने, जाने और बच्चों को भी बताएं।
– जल ही जिवन है।
– व्रुक्ष है तो हम है।
– और आखीर में.. अहंकार त्यागे..क्युंकी
समय समय बलवान है, नहीं धनुष बलवान;
काबे अर्जुन लुटियो, वही धनुष वही बाण।
आभार…
तू ही मेरी मंजिल है, पहचान तुझी से;
पहुंचू मैं जहां भी मेरी बुनियाद रहे तू ;
ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
मैं जहाँ रहूँ जहाँ में याद रहे तू ऐ वतन.. मेरे वतन..।
—- गोपाल खेताणी